Bitter Gourd In Hindi। Karela Khane Ke Kya Kya Fayde Hote Hai। करेला।

करेला। Bitter Gourd In Hindi

करेला के फायदे के बारे में एक कहावत है , करेला , वो भी नीम चढ़ा । (Bitter Gourd In Hindi) अर्थात् करेला अत्यंत कड़वा होता है । इसकी तासीर ठंडी होती है , तथा पचने में यह हल्का होता है । यह आयु को बढ़ाता है और पाचन क्रिया प्रदीप्त करके शौच साफ लाता है ।

करेला जूस के फायदे।

दोस्तों अगर आपके मुंह में छाले होते हैं तो आपके लिए करेले का जूस बहुत ही लाभदायक है। अगर आपके मुंह में छाले हैं तो करेले का जूस गर्म करके इसमें आप पिसे हुए फटकड़ी डालकर मुंह में चोली करने से आपके छाले ठीक होने की काफ़ी ज्यादा संभावना होती है।

करेला खाने के बाद दूध पीना चाहिए कि नहीं।

दोस्तों करेला खाने के बाद आपको Pani नहीं पीना चाहिए क्योंकि इससे आपको इंफेक्शन होती है, दर्द होती है और हैजा में प्रॉब्लम होती है। आधी समस्या हो जाती है। तो इसलिए जब भी आप गड्डी सब्जियां खाएं जैसे करेला हो गया। नींबू हो गया कटहल की सब्जी हो गई इसके 3 से 4 घंटे के बाद ही पीना चाहिए दूध आपको। 6 Best Chehra Saaf Karne Ka Tarika

करेला खाने के बाद क्या नहीं खाना चाहिए।

प्रेगनेंसी में करेला खाना चाहिए या नहीं करेला के फायदे ।

गर्भवती को ज्यादा करेला खाना अच्छा नहीं होता है। पर अगर आप को करेला Khana बहुत पसंद है तो आप इसका नियमित तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं। जैसे कि आप हफ्ते में एक से दो बार करेले को खा सकती है या उसका जूस पी सकते हैं। पर आपको इसको ज्यादा मात्रा में नहीं लेना चाहिए।

करेले में पाय जाने वाले पौषक तत्व

करेले में प्रचूर मात्रा में विटामिन A, B और C पाए जाते हैं। Lahsun Khane Ke Fayde इसके अलावा कैरोटीन, बीटाकैरोटीन, लूटीन, आइरन, जिंक, पोटैशियम, मैग्नीशियम और मैगनीज जैसे फ्लावोन्वाइड भी पाए जाते हैं।

Karela Khane Ke Kya Kya Fayde Hote Hai ।

रक्त – शोधक : पचास से साठ ग्राम तक करेले का रस नित्य कुछ दिनों तक | सेवन करने से शरीर का दूषित रक्त साफ हो जाता है । इससे रक्त – विकार के कारण होने वाले चर्म रोग भी दूर हो जाते हैं ।

खूनी बवासीर : यदि बवासीर के मस्से फट जाते हों और उनसे रक्तस्राव होता रहता हो , तो दिन में तीन बार कुछ दिनों तक एकेक चम्मच करेले का रस शक्कर मिलाकर पीने से लाभ होता हैं । Best Banana Ke Benefits In Hindi

पथरी रोग : करेले का रस गुर्दे और मूत्राशय की पथरी को तोड़कर ले आता है । इसके लिये दो करेले का रस नित्य पीना चाहिए । करेले की सब्जी खाना भी लाभप्रद है ।

यकृत रोग : छोटे बालकों ( जिनकी आयु तीन से आठ वर्ष तक हो ) , आधा चम्मच करेले का रस नित्य देने से उनका यकृत ठीक | रहता है , यकृत में कोई विकार नहीं होता और पहले से | कोई विकार हो , तो वह भी दूर हो जाता है । करेले का रस पेट साफ रखता है । Best 6 Health Benefits of Eating Cucumber यकृत बढ़ने और जलोदर होने पर 50 ग्राम करेले का रस पानी में मिलाकर पिलाने से लाभ होता है ।

मधुमेह : मधुमेह ( डायबिटीज ) के रोगी को 15 ग्राम सौ ग्राम पानी में मिलाकर नित्य तीन बार , कुछ महीने तक पीने से लाभ हो जाता है । इस तरह के रोगी को करेले की सब्जी भी अधिक मात्रा में प्रयोग करनी चाहिए ।

पाचन शक्ति : भोजन का पाचन उचित मात्रा में न होता हो या वायु रोग के कारण कष्ट उठाना पड़ता हो , तो करेले की सब्जी का सूप पीना लाभदायक रहता है ।

कब्ज : कब्ज में करेले का रस लाभ करता है । करेले की सब्जी नित्य खाते रहने से शरीर को पर्याप्त मात्रा में फास्फोरस मिल जाता है , जिस कारण शरीर में स्फूर्ति रहती है । करेला भूख बढ़ाने वाला और भोजन पचाने वाला होता है ।

पीलिया : एक ताजा करेला पानी में पीस कर , सुबह – शाम दो बार पीने या पिलाने से पीलिया रोग दूर हो जाता है । जोड़ों पर करेले के पत्तों के रस की मालिश करें और करेले की ही सब्जी खाएं । कुछ माह में ही गठिया रो – से मुक्ति मिल जाएगी ।

गठिया : लकवे की प्रारम्भिकावस्था में करेले की सब्जी खाना लाभ दायक है ।

दमा : दमा – रोग के लिए भी करेला अत्यन्त गुणकारी है ।

हैजा : चौथाई कप करेले का रस और इतना ही पानी तथा स्वादानुसार नमक मिलाकर बार – बार पिलाने से हैजा में तुरंत लाभ होता है । उलटी और दस्त भी दूर होते हैं ।

पैरों में जलन : जिन बच्चों के पेट में कीड़े हों , उन्हें समय – समय पर करे का रस पिलाते रहना चाहिए । करेले का ताजा साठ ग्राम रस नित्य कुछ दिनों तक सेवन करने से शरीर का दूषित रक्त साफ हो जाता है । करेले के पत्तों के रस की मालिश करने से जलन में लाभ होता है । यदि पत्तों का रस न मिले तो करेले का रस भी प्रयोग किया जा सकता है ।

विशेष : करेला किसी भी तरह उपयोग किया जाए , एलर्जी नहीं करता है , किन्तु गर्म अधिक होने के कारण गर्म – प्रकृति के लोगों को कुछ हानि अवश्य पहुंचा सकता है । यदि किसी प्रकार की हानि की सम्भावना हो तो नींबू और दही का प्रयोग अधिक मात्रा में करना चाहिए । bitter gourd

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