Breathing Problem Solution in Hindi | सांसकी बीमारी है, तो रहें सचेत

सांसकी बीमारी है तो रहें सचेत (Breathing Problem Solution in Hindi) यदि आप कोरोना संक्रमण से मुक्ति पा चुके हैं ,

but डायबिटीज , उच्च रक्तचाप , मोटापा या अस्थमा से पीड़ित हैं तो सतर्क रहना जरूरी है ,

because श्वसनतंत्र कमजोर होने के कारण हो सकती है

पल्मोनरी फाइब्रोसिस की समस्या कोरोना संक्रमण ने संपूर्ण विश्व को हर तरह से प्रभावित किया है।

लंबे समय से संकट बनी इस महामारी का अभी तक कोई ठोस चिकित्सीय समाधान नहीं ढूंढा जा सका है ।

कोरोना वायरस वैसे तो शरीर के सभी अंगों को प्रभावित करता है , but इसका सबसे अधिक प्रभाव श्वसनतंत्र पर पड़ता है ।

इस वायरस की चपेट में सबसे पहले श्वसनतंत्र की विभिन्न कोशिकाएं आती हैं ,

जो इसके प्रभाव से बहुत तेजी से नष्ट होने लगती है । ऐसे में संक्रमित व्यक्ति को बुखार ,

खांसी व सास लेने में तकलीफ होती है ।

पिछले कुछ महीनों में यह देखा गया है कि 70-80 प्रतिशत लोग 10-15 दिनों में पूरी तरह स्वस्थ हो जाते है ,

जबकि 20-30 प्रतिशत लोगों में श्वसनतंत्र की कार्यप्रणाली गंभीर रूप से प्रभावित होती है ,

जिसकी वजह से उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है ।

चिकित्सक चेस्ट एक्सरे और सीटी स्कैन के द्वारा यह समझ लेते हैं कि फेफड़ों में निमोनिया का कितना संक्रमण हुआ है,

और शरीर को कितनी ऑक्सीजन मिल पा रही है ।

Corona Infected Patients – Breathing Problem Solution in Hindi

breathing problem कोरोना संक्रमित रोगियों में वायरस श्वसनतंत्र की सूक्ष्मतम कोशिकाओं को प्रभावित करके नष्ट करता है ,

जिससे एल्वियोली ( सूक्ष्म कोशिकाएं ) की कार्यक्षमता खत्म हो जाती है

और ऑक्सीजन व कार्बनडाइऑक्साइड गैसों का आदान – प्रदान नहीं हो पाता है ।

इसे रेस्पिरेटरी फेलियर कहते हैं ।

Why is Pulmonary Fibrosis – Breathing Problem Solution in Hindi

Breathing Problem Solution in Hindi कोरोना वायरस से संक्रमित वे रोगी जिनमें श्वसनतंत्र की एल्वियोली कोशिकाएं नष्ट हो जाती है ,

उनमें काफी हद तक ऑक्सीजन एवं अन्य जीवनरक्षक प्रणाली के उपयोग से सुधार आ जाता है ,

but वेसामान्य स्थिति में नहीं आ पाते हैं और कोशिकाओं के नष्ट होने के कारण फेफड़ों में धब्बे बन जाते हैं ।

उदाहरण के तौर पर यह उसी प्रकार की प्रक्रिया है , जैसे शरीर के किसी हिस्से में चोट लगने या जलने के बाद एक निशान रह जाता है ।

but इसके बाद भी श्वसनतंत्र की कार्यक्षमता सामान्य रहती है ।

High Risk Breathing Problem Solution in Hindi

Breathing problem इन लोगों को है अधिक जोखिम कोरोना संक्रमण से श्वसनतंत्र प्रभावित होने के बाद समय के साथ इसकी कार्यप्रणाली लगभग सामान्य हो जाती है ,

but जो रोगी अन्य रोगों जैसे डायबिटीज , उच्च रक्तचाप , उपचार के लिए लंबे समय तक ऑक्सीजन मोटापा , सीओपीडी और अस्थमा से ग्रसित हैं , उनमें पल्मोनरी फाइब्रोसिस की संभावना अधिक होती है ।

because इसके अतिरिक्त जिन लोगों की बीमारी ने गंभीर रूप अख्तियार किया हो एवं इलाज के दौरान उन्हें वेंटीलेटर आदि की आवश्यकता पड़ी हो ,

उनमें भी पल्मोनरी फाइब्रोसिस होने की संभावना अधिक होती है ।

so कोरोना संक्रमण से स्वस्थ होने के बाद जिन लोगों को लगातार खांसी बनी रहे , चलने में सांस फूलती हो , उनमें पल्मोनरी फाइब्रोसिस की समस्या निश्चित है ।

चिकित्सक इसका पता श्वसनतंत्र की जांच से लगाते हैं ।

जिनमें पल्स ऑक्सोमीटर , सीटी स्कैन और चेस्ट एक्सरे जैसी कई महत्वपूर्ण जांचें की जाती हैं ।

because इससे यह पता चल जाता है कि फेफड़ों की क्षमता कितनी रह गई है

और भविष्य में रोगी को किस तरह की दवाओं की आवश्यकता है ।

इन दवाओं का प्रयोग चिकित्सक अपने अनुभव और विवेक के आधार पर करते हैं ।

because जबकि कुछ मरीजों में भी देनी पड़ती है ।

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