freedom coronavirus – इस बार कोरोना से आजादी इन हिंदी

freedom coronavirus

(freedom coronavirus) इस साल कोविड 19 ने बाजी मार ली । भ्रष्टाचार , जातिवाद , भ्रूण हत्या , दुष्कर्म , चोरी , डकैती को छोड़कर इसने सभी खबरों पर कब्जा कर लिया है ।

so 73 सालों की आजादी में पहली बार एक अनदेखी दहशत का शिकार हम सब हैं ।

अब अंग्रेजों के अत्याचार की कहानियां याद करने की जरूरत नहीं । कोरोना अपने साथ रोज एक नया दर्दनाक किस्सा ला रहा है ।

किसी भी आपदा या संकट की घड़ी में हमारे नेता हमेशा यह कहते आए हैं कि इसमें कुछ ‘ विदेशी ताकतों का हाथ ‘ है , जो हिंदुस्तान को कमजोर कर रहा है ।

लो जी , उनकी भी भविष्यवाणी सच्ची हुई । बाहर से एक्सपोर्टेड कोरोना (freedom coronavirus) अब हिंदुस्तान आकर कुछ ज्यादा ही प्यार करने लगा है इस धरती से । पहले ब्रिटिश आए हिंदुस्तान में व्यापार करने , पर फिर वे ऐसे टिके । कि एक संग्राम में उन्हें वापस भागना पड़ा ।

so लगता है कुछ ऐसा ही संग्राम हम सब को कोरोना के खिलाफ करना पड़ेगा ।

महात्मा गांधी ने अपनी जान पर खेलकर आजादी जान ले सकती है । कई महाशय तो लॉकडाउन में 150 लोगों के साथ अपनी शादी की सालगिरह भी मना गए । एक सज्जन ने तो अपने बेटे की शादी कर डाली ।

दोनों समारोहों में जान के लाले पड़ गए । गए और दूल्हे मियां तो बेचारे चल ” अहिंसा ‘ के जरिए , बिना खूनखराबे के भारत को आजादी की आवाज दी । कोरोना की भी लड़ाई हमें अहिंसा के साथ ही लड़नी पड़ेगी … हाथ धोकर , उचित दूरी बनाकर और मास्क पहनकर हमारे वीर स्वतंत्रता सेनानियों ने दिलाई ।

हमारे आज के सेनानी हैं हमारे डॉक्टर्स , हमारी नसें , हमारी पुलिस , हमारे हेल्थ वर्कर्स , हमारे अधिकारी , हमारी सरकार , जो इस अदृश्य दुश्मन से डटकर मुकाबला कर रहे हैं । जहां एक बहादुर गिरता है , वहां दस और उसकी जगह ले लेते हैं । कुछ देशद्रोही तब की लड़ाई में भी थे और आज की लड़ाई में भी हैं ।

so जो लोग लापरवाह होकर आम जगहों में बिना एहतियात के घूम रहे हैं , वे किसी देशद्रोही से कम नहीं । इनकी लापरवाही कइयों की 12 जब मेहमान कोरोना पॉजिटिव हो ही बसे 1947 की लड़ाई ने हमारे कंधों पर एक नई जिम्मेदारी डाल दी कि हम अपना भविष्य सुरक्षित करें ।

2020 के संग्राम ने भी ऐसा ही कुछ किया है । अगर हमें इस महाकाल से जिंदा बचना है तो जिम्मेदारी से रहना होगा । इस बार तो एक चूक की भी गुंजाइश नहीं है ।

73 साल पहले कौन सोच सकता था कि एक अनपढ़ , पिछड़ा समाज शक्तिशाली ब्रिटिश साम्राज्य को दातों तले चने चबवा सकता था । आज हम वही कहानी दोहरा सकते हैं ।

because हमारी दिलदारी , हमारी हिम्मत और हमारे हौसले की वाहवाही दुनिया करेगी , because हमें यह लड़ाई जीतनी है और हम जीतेंगे । मुंबई में धारावी , जोकि एशिया का सबसे बड़ा स्लम है ,

अगर उसे हम कोरोना हॉटस्पॉट से कोरोना फ्री कर सकते हैं so फिर कुछ भी कर सकते हैं । 1947 में देश की आजादी के लिए लड़े ।

आइए आज खुद को जिंदा रखने के लिए लड़ें । so कोरोना को दिखाएं कि इंसानी हिम्मत और हौसले के आगे उसकी हार होनी तय है ।

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